☰
Search
Mic
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

Introduction to Ekadashi Vrat | Ekadashi Vrat Parichay

DeepakDeepak

Ekadashi Vrat Parichay

Ekadashi Vrat Introduction

व्रत एवं उपवास का महत्व हर देश में हैं। प्रत्येक धर्म व्रत के लिए आज्ञा देता है, क्योंकि इसका विधान आत्मा और मन की शुद्धि के लिए हैं। व्रत या उपवास करने से ज्ञानशक्ति में वृद्धि होती है तथा सद्विचारों की शक्ति प्राप्त होती हैं।

व्रत एवं उपवास में निषेध आहार का त्याग एवं सात्विक आहार का विधान हैं, इसलिए व्रत एवं उपवास आरोग्य एवं दीर्घ जीवन की प्राप्ति के उत्तम साधन हैं। जो व्यक्ति नियमित व्रत एवं उपवास करते हैं, उन्हें उत्तम स्वास्थ्य तथा दीर्घ जीवन की प्राप्ति के साथ-साथ इस लोक में सुख तथा ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता हैं।

नारद पुराण में व्रतों का माहात्म्य बताते हुए लिखा गया है कि - गंगा के समान कोई अन्य तीर्थ नहीं, माँ के समान कोई गुरु नहीं, भगवान विष्णु जैसा कोई देवता नहीं तथा व्रत एवं उपवास जैसा कोई तप नहीं। व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वोपरि माना गया है। प्रत्येक मास में दो एकादशी होती हैं। अधिक या लौंद मास पड़ने पर उस मास की दो अन्य एकादशी और होती हैं।

इस प्रकार कुल छब्बीस (26) एकादशियाँ हैं। ये सभी एकादशियाँ अपने नाम के अनुरूप फल देने वाली हैं, जिनकी कथा तथा विधि सुनने से सब भली प्रकार ज्ञात हो जाता है। एकादशी की उत्पत्ति तथा माहात्म्य के पढ़ने और सुनने तथा भजन-कीर्तन करने से मनुष्य सुखों को प्राप्त कर अन्त में विष्णुलोक को प्राप्त करता है।

एकादशी व्रत के दो भेद हैं - नित्य और काम्य। यदि एकादशी का व्रत बिना किसी फल की इच्छा से किया जाए तो वह 'नित्य' कहलाता है। और यदि किसी प्रकार के फल की इच्छा जैसे- धन, पुत्र आदि की प्राप्ति अथवा रोग, दोष, क्लेश आदि से मुक्ति के लिए किया जाए तो वह 'काम्य' कहलाता है।

Kalash
Copyright Notice
PanditJi Logo
All Images and data - Copyrights
Ⓒ www.drikpanchang.com
Privacy Policy
Drik Panchang and the Panditji Logo are registered trademarks of drikpanchang.com
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation