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श्री दुर्गा सप्तशती | देवी महात्म्य संस्कृत गीतिकाव्य और वीडियो के साथ

DeepakDeepak

श्री दुर्गा सप्तशती

श्री दुर्गा सप्तशती - चण्डी पाठ

annihilation of Mahishasura from Durga Saptashati
देवी दुर्गा सप्तमातृका सहित
महिषासुर और उसकी सेना से लड़ते हुये

दुर्गा सप्तशती एक लोकप्रिय हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है, जिसमें महिषासुर नामक दैत्य पर माता दुर्गा की विजय का वर्णन प्राप्त होता है। श्री दुर्गा सप्तशती को देवी माहात्म्यम् एवं चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मार्कण्डेय पुराण का भाग है, जिसकी रचना ऋषि मार्कण्डेय द्वारा की गयी है।

इस ग्रन्थ में 700 श्लोक हैं अतः यही कारण हैं कि इस सुन्दर रचना को दुर्गा सप्तशती के नाम से जाना जाता है। इन सात सौ श्लोकों को 13 अध्यायों में विभक्त किया गया है तथा 13 अध्यायों को पुनः तीन भागों में बाँटा गया है, जिन्हें प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र के रूप में जाना जाता है। पारम्परिक रूप से पाठ करने हेतु श्री दुर्गा शप्तशती के आरम्भ एवं अन्त में कुछ विशेष स्तुतियाँ भी दी गयी हैं। नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना इस उत्सव का एक अभिन्न भाग है।

चण्डी होम करने हेतु भी दुर्गा सप्तशती एक अत्यधिक महत्वपूर्ण रचना है। चण्डी होम आरोग्य एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के उद्देश से किया जाता है। दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का उच्चारण करते हुये यह हवन किया जाता है। चण्डी होम के माध्यम से कुल 700 आहुतियाँ देवी दुर्गा को अर्पित की जाती हैं।

  1. सप्तश्लोकी दुर्गा
  2. दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
  3. दुर्गा सप्तशती पाठविधि
    1. देवी कवचम्
    2. अर्गला स्तोत्रम्
    3. कीलकम्
    4. वेदोक्तं रात्रि सूक्तम्
    5. तन्त्रोक्तं रात्रि सूक्तम्
    6. श्री देवी अथर्वशीर्षम्
    7. नवार्ण विधि
    8. सप्तशती न्यासः
  4. श्री दुर्गा सप्तशती
    1. प्रथम अध्याय - मेधा ऋषि राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुये मधु-कैटभ-वध का प्रसंग।
    2. द्वितीय अध्याय - देवताओं के तेज से देवी का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध।
    3. तृतीय अध्याय - सेनापतियों सहित महिषासुर वध।
    4. चतुर्थ अध्याय - इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति।
    5. पञ्चम अध्याय - देवताओं द्वारा देवी की स्तुति, चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना और दूत का निराश लौटना।
    6. षष्ठम अध्याय - धूम्रलोचन-वध
    7. सप्तम अध्याय - चण्ड और मुण्ड का वध
    8. अष्टम अध्याय - रक्तबीज-वध
    9. नवम अध्याय - निशुम्भ-वध
    10. दशम अध्याय - शुम्भ-वध
    11. एकादश अध्याय - देवताओं द्वारा देवी की स्तुति तथा देवी द्वारा देवताओं को वरदान।
    12. द्वादश अध्याय - देवी-चरित्रों के पाठ का महात्म्य।
    13. त्रयोदश अध्याय - सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान।
  5. उपसंहार
    1. ऋग्वेदोक्तं देवी सूक्तम्
    2. तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम्
    3. प्राधानिकं रहस्यम्
    4. वैकृतिकं रहस्यम्
    5. मूर्ति रहस्यम्
  6. क्षमा-प्रार्थना
  7. श्री दुर्गा मानस-पूजा
  8. दुर्गा द्वात्रिंश नाममाला
  9. देवी अपराध क्षमापन स्तोत्रम्
  10. सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम्
  11. सिद्ध सम्पुट मन्त्र
  12. श्री देवीजी की आरती
  13. श्री अम्बाजी की आरती
  14. देवीमयी
Kalash
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द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
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